Sunday, August 3, 2014

चाँद आया

सपने


चाँद आया

 कुछ सपने लाया

 चलों चल कर देखें

 कहीं महबूब का सपना न हो
.
वो रोज़ कहते हैं

 आज आंऊगा सपने में.
..
मैं रोज़ सपने देखती हूँ

 सुबह आ कर बोलते हैं.
.....,,
ट्रैफिक में फंस गया था

 आज जरूर आउंगा

 और मैं रोज़ मान जाती हूँ

 चाँद के आते ही

 पलकें मूंद लेती हूँ.

4 comments:

  1. और मैं रोज़ मान जाती हूँ

    चाँद के आते ही

    पलकें मूंद लेती हूँ.
    .........................................

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  2. बहुत ही सुन्दर भाव हैं कविता के डायरेक्ट दिल से :).

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