Wednesday, January 9, 2013

पहचान

कौन हूँ


आज पहचान खो गयी है मेरी

सिर्फ पत्नी बहु बहन और बेटी

यही नाम रह गए हैं मेरे

खुद ही खुद का नाम भूल गयी हूँ

क्या थी और क्या हूँ

कुछ याद नहीं अब

बस सिर्फ काम याद हैं

सब के लिए अपने कर्तव्य

याद रह गए हैं

खुद के लिए कुछ याद नहीं

क्या मै कुछ नहीं

इन चार नाम के सिवा

क्या मेरा स्वयम का कोई नाम नहीं

कोई वजूद नहीं

क्या जिंदगी सिर्फ कर्तव्य निभाते

सेवा करते गुज़र जायेगी

क्या औरत की कोई पहचान बनेगी कभी 

16 comments:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 12/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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    1. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ...

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  2. हार्दिक आभार मदन मोहन जी ....

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  3. अंतर्मन की पीड़ा लिए मर्मस्पर्शी रचना
    New post : दो शहीद

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  4. खुद ही पहचान बनानी होगी .... सुंदर प्रस्तुति

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  5. अब परिस्थितियां बदल रही है ..बहुत ही सुन्दर रचना बधाई

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  6. वाकई...अब पहचान बनानी होगी...बढ़ि‍या

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  7. praytn to hame hi karna hoga kyonki hamare sathi sirph ham hi hai.........

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  8. बहुत सुन्दर रचना ... बधाई

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