वक्त
आज शिक्षक दिवस पर मै सिर्फ वक्त को ही सब से बड़ा शिक्षक मानती हूँ ,क्योकि जो आप को कोई नहीं सिखाता वो आप को वक्त सिखा देता है ,ये फेसबुक की दुनिया वैसे भी आभासी दुनिया है ,एक बटन दबाने से रिश्ते खतम होते हैं ,मै पुरुष मित्रों को बहुत ही कम अपनी मित्र सूची में रखती थी ,क्योकि यही लगता था की शायद सब पुरुष स्वार्थी होते हैं ,लेकिन मेरी इस सोच को मेरे एक मित्र शामलाल जी ने बदल दिया ,उन्हें मैंने बहुत बार हटाया और जोड़ा अपनी मित्र सूची में ,लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की और सदा एक अछे दोस्त का फ़र्ज़ निभाया ,उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा ,उसी तरह मै स्त्रियों को बहुत ही अपना मानती थी और मेरी मित्र सूची में ९० % स्त्रियां ही हैं ,लेकिन उनसे मुझे कितनी बार मुझे चोट पहुंची है ,हर एक के चेहरे पर एक चेहरा लगा है ,किसी ने मेरा आगे बड कर साथ नहीं दिया ,आशा शर्मा दोहरू और कविता राठी ने मुझे बहुत संभाला जब जब मै आहत हुई इस आभासी दुनिया में और रामेश्वरी बहुखंडी ने मुझे इस दुनिया में जीने का मन्त्र दिया ,आज मै आभारी हूँ ,शामलाल जी की जिन्होंने मेरा इस आभासी दुनिया में एक सच्चे मित्र की तरह साथ दिया और उनसब की भी आभारी हूँ जिन्होंने मुझे इस आभासी दुनिया में जीना सिखाया ,आज इस वक्त मै इस आभासी दुनिया में ,मै अपने को बिलकुल तनहा पाती हूँ ,लेकिन मुझे ऐसे दोस्तों की छह भी नहीं जो सिर्फ दिखावे के लिए दोस्ती करे ,मै विएश में अकेली ही रहती आई हूँ और रह भी लूंगी ,लेकिन कोई भी मुखौटा लगा कर मेरी भावनाओं को चोट पहुंचाए ऐसा दोस्त नहीं चाहूंगी ,पहले ब्लॉग पर मुझे कमेन्ट आते थे लेकिन अब सिर्फ सब पड़ कर चले जाते हैं ,जिन्हें कह रही हूँ वो भी समझते हैं ,नाम लेने से क्या फायदा ,जानती हूँ मेरी इस व्यथा को भी सब पड़ कर मुस्कुरा देंगे और कोई भी कमेन्ट करके सामने नहीं आएगा और मुझे किसी से उम्मीद है भी नहीं है ,इस आभासी दुनिया को मैंने बहुत करीब से देख लिया है , आज के दिन मै सिर्फ वक्त को ही सच्चा शिक्षक मानती हूँ सच्चे दोस्त बहुत नसीब से मिलते हैं ,ये इस आभासी दुनिया ने मुझे समझा दिया है ,मुझे तनहा होने या रहने पर अब कोई शिकवा नहीं किसी से ,
|
Wakt se bada koi shikshak nahi hota sakhi.,, aur galtiyon se hi milti hai Sabse badi shiksha
ReplyDeleteमुझे उम्मीद नहीं थी की कोई कमेन्ट करेगा ....लेकिन तुमने सदा मेरा होंसला बंधाया है मेरी प्यारी कवी ....तुम्हारा ये क़र्ज़ रहेगा मुझ पर ....धन्यवाद
Deletesunder sacchayi likhi hain.
ReplyDeleteधन्यवाद जी आप के अपनापन के लिए आभारी हैं
DeleteVery eloquently expressed Rama ji. Your deepest thoughts have come out there. I'm grateful for your friendship - you are more valuable than any diamonds. Your friendship is very precious and it is an honor to be counted amoung your good friends.
ReplyDeleteहार्दिक आभार शाम जी ...आप जैसा सच्चा मित्र मिलना आजकल कोयले की खान में हीरा ढूँढना जिया है ......धन्य्वाद
DeleteBahut hi sahi kaha aapne....me apni galtiyo se bahut kuch sikhti hu ... koshish krti hu ki dusro ki galtiyo se bhi seekhu.... sach kaha waqt se bada koi shikshk nhi hai...zindagi itni chhoti hai ki hum har waqt apni galtiyo nhi seekhte isliye dusro ki galtiyo se b seekhna chahiye......
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा गौरिका .....धन्यवाद
DeleteBahut hi sahi kaha aapne....me apni galtiyo se bahut kuch sikhti hu ... koshish krti hu ki dusro ki galtiyo se bhi seekhu.... sach kaha waqt se bada koi shikshk nhi hai...zindagi itni chhoti hai ki hum har waqt apni galtiyo nhi seekhte isliye dusro ki galtiyo se b seekhna chahiye......
ReplyDeleteसही बात गौरिका आभार
DeleteWhere has my comment gone?
ReplyDeleteआप ने लिखा था लय गिरीश भाई .....आप कृपया फिर से लिख दे ....मुझे पता नहीं है सच में ....मई पासवर्ड बदल देती हूँ
Deleteआप की मुस्कराहट बहुत कुछ कह रही है उपसना सखी ....आभार
ReplyDeleteमैंने लिखा था,
ReplyDeleteसमय सबसे बड़ा शिक्षक है, ये हमेशा सिखाता रहता है, ताउम्र, कभी मिसाल देके कभी इम्तेहान लेके. ये हमेशा साथ रहता है, साथ चलता है. समय साथी है, सच्चा साथी. सच्चा इसलिए क्योंकि ये झूठा नहीं है. इसके रहते हम कैसे तन्हा हो सकते हैं, कोई हो न हो ये तो साथ है ही.
वैसे तो दुनियां खुद आभासी (माया) है. पर जहां तक आभासी दुनियां/आभासी मित्रों की बात है, एक क्लिक से सब खत्म, तो ये भी सच है कि एक क्लिक से सब फिर शुरू, फिर दुख क्यों क्लिक करते रहिए.
गिरीश आप का आभार ...समय साथ तो चलता है लेकिन वो साथी नहीं होता और इस आभासी दुनिया में क्लिक कर के ख़त्म करना इतना आसन नहीं होता क्योकि हम भावनात्मक रूप से जुड़ चुके होते हैं और जब कोई ऐसा करता है तो भावनाओं को चोट पहुँचती है ,क्लिक करके शुरू जब करते हैं तो दोस्ती की शुरुआत होती है लेकिन ख़तम करते वक़्त पीड़ा ...जो अकेले ही सहनी होती है की जिसे हमने देखा नहीं उस पर इतना विश्वास क्यों किया ....
Deleteसमय से बड़ा शिक्षक कोई नहीं ..............वक्त सब कुछ सिखा भी देता है और सहन करने की शक्ति भी देता है रमा जी .......
ReplyDeleteआभार प्रभा जी ....
Deletegaltiyon se sikh lena jaroori hai
ReplyDeleteआभार संजय जी
Delete