Sunday, July 29, 2012

गजरा

गजरा

देख लो लगा लिया तुम्हारा लाया गजरा मैंने

खुशबू अब भी वैसी की वैसी है

अब नहीं रूठुंगी कभी तुमसे

आज ये कसम लेती हूँ दिल से

जैसे ये गजरा महकता है मेरा

सदा महकेगा प्यार भी तेरा

मै जानती हूँ कितना भी रूठ लू तुमसे

तुम फिर से गजरा लाकर मना लोगे मुझे

इसीलिए मुझे रूठना अच्छा  लगता है

तुम तब गजरा लाते हो और लगा देते हो बालो में

बिना कुछ बोले ही मना लेते हो मुझे

सोचती हूँ कभी मै रूठी और तुम्हे गजरा न मिला  तो

क्या फिर भी मना लोगे मुझे बिना बोले

या मै इंतज़ार ही करती रह जाउंगी तुम्हारी 

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