Thursday, July 26, 2012

सिलसिला इंतज़ार का

मजबूरी

आज फिर दिल के टुकड़े कर गया कोई

उम्मीद तो नहीं थी किसी से कोई

फिर भी इक उम्मीद थी अनजाने में

आज फिर से टूट गयी वो उम्मीद भी

क्या जीना और किसके लिए जीना

मतलब की भरी इस दुनिया में

किस कारण के लिए जीना है

काश कोई समझता दिल को

इसमें बस अरमान हैं और कुछ नहीं

न पूरे करो अरमान इसके लेकिन

इसे इतनी बेदर्दी से कुचलो भी मत

किसी और को पता चल गया तो

प्यार से विश्वास ही उठ जायेगा सब का

एक झूटी आस तो रहने दो जीने की

बिना आस तो सांस भी नहीं आती

दिल रो रहा है जार जार मेरा

कब तक चलेगा ये सिलसिला इंतज़ार का मेरा 

4 comments:

  1. di aaj man bhut udhas tha to aap ka ye marmik padha to dil ro utha meri aakho me kabhi pani nahi aata hai jo aaj aa geya

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    1. मेरी प्यारी अनु ......ये जिंदगी है ,यहाँ उतार चदाव चलते रहते हैं ....

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  2. दिल को छु लेने वाली ....दिल की बाते....

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    1. धन्यवाद कैलाश भाई .....आप ब्लॉग पर आये .....

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