Friday, July 6, 2012

दर्द

दर्द

दर्द ही दर्द है

कभी दिल में होता है

कभी आँखों से छलकता है

कभी सिसकियों में निकलता है

कभी आहों  में भर जाता है

आज बादलों में भर गया

तो बारिश बन कर बरस गया

रोक दो इस दर्द को अब

कहीं और बड गया तो

दुनिया डूब जायेगी इसमें

3 comments:

  1. आपने सही कहा!
    --

    बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने!

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  2. हार्दिक आभार संजय जी ......

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  3. Dard jb ek had se aage badta hai to khud hi dawa ban jaata hai....insaan itna sashkt ho jata hai ki phir anay kisi dard ki ahmiyat nhi rahti....

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