Monday, May 28, 2012
फौजी और गृहणी
तुम फौजी हो
मै गृहणी हूँ
तुम सीमा पर हो
मै घर में हूँ
तुम देश की सेवा करते हो
मै घर का काम करती हूँ
तुम गोली खाते हो
मै गाली खाती हूँ
तुम्हारा खून बहता है
मेरे आंसू बहते हैं
तुम्हारे जख्म दिखते है
मेरे जख्म रिस्ते हैं
तुम्हे तमगा मिलता है
मुझे दुत्कार मिलती है
तुम्हारा सम्मान होता है
मेरा अपमान होता है
तुम दुश्मन से लड़ते हो
मै तन्हाइयो से लड़ती हूँ
तुम अपनी सीमा में रहते हो
मै अपनी सीमा में रहती हूँ
तुम निस्वार्थ सेवा करते हो
मै भी निस्वार्थ काम करती हूँ
फिर
तुम में और मुझमे क्या अंतर
फिर
तुम में और मुझमे क्यों अंतर
फिर
मै अब क्या करू
तुम्ही बताओ
तुम्हारी बात सब सुनेगे
मुझे कोई नहीं पूछेगा
जल्दी जवाब देना
कहीं अधूरा न रह जाए
ये भी मेरी तरह
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
नारी की व्यथा का बहुत सटीक और मर्मस्पर्शी चित्रण...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी
Deleteबहुत ही सटीक चित्रण है नारी की व्यथा कोई नहीं सुनता है
ReplyDeleteआभार ..... अनामिका
Deleteएक यथार्थ स्थिति का सजीव चित्रण - वाह
ReplyDeleteसहज शब्द में आपने भाव लिखा है ख़ास
ऐसे जब हालात हों सुमन दुखद एहसास
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
हार्दिक धन्यवाद श्यामल जी
Delete