Thursday, April 26, 2012

सीड़ी

काश कोई सीड़ी होती जो मुझे चाँद तक ले जाती , मिल आता एक बार बाबू जी से और सारी भड़ास निकालता , कि क्या सोच कर मुझे ऐसे बेसहारा कर गए , क्या आप को मेरी हालत नही पता थी या मैने कभी अपनी आय छुपाई थी आपसे , फिर ये अन्याय क्यो किया मेरे साथ, अपने छोटे बेटे को जानते हैं न या वहाँ जाकर सब भूल गए । पता है आपके सामने ही नही डरता था वो किसी से तो अब आपके चले जाने के बाद क्या खाक डरेगा वो, स्कूल तो आपके सामने ही नही जाता था अब तो आवारा लड़को के साथ रात रात भर गायब रहता है , कुछ पूछो तो धमकियाँ शूरू हो जाती हैं उसकी । माँ के सामने जाकर मासूम बन जाता है और सारी बात मुझ पर डाल कर रोने लगता है। कि माँ देखो न आज बाबू जी नही हैं तो भईया मेरा क्या हाल करते हैं और माँ ममता की मारी पिघल जाती है और बिना बात मुझ पर गालियों की बौछार कर देती है, सुनते जाईए अभी मेरी बात खतम नही हुई है , अपनी लाडली  के किस्से भी सुनते जाईए उसे पढ़ाई से ज्यादा रोमांटिक नावल पसंद हैं और क्या बताऊ बताते हुए भी शर्म आती है वो आपकी लाडली ३ बार डर्टी पिक्चर देख आई है और घर आकर पढ़ाई का झूठा बहाना बना दिया जैसे मै तो बेवकूफ हूँ, उसके हाथ पीले करने की सोच रहा हूँ पर कोई नही जो इस दुविधा मे साथ दे, छोटे को किसी ट्यूशन पर डालूं या कोई काम लगवा दूं, कुछ समझ नही आ रहा, और हाँ माँ का क्या करू जो इन सब बातो से बेखबर बस आपकी यादों में खोई रोंती रहती हैं , डाक्टर ने तो साफ कह दिया है कि अगर उन्होने रोना बंद नही किया तो आंखो को खतरा है।
अब आप ही बताओ मैं अकेला क्या क्या करू, काश कोई सीढ़ी होती तो चुपचाप आपसे सलाह तो लेता ,लेकिन अब क्या करू , मैं भी आपके पास आ जाता हुँ फिर आपको पता चलेगा मेरी परेशानियों का, फिर आप कुछ मदद करेंगे मेरी। मैं दो दिन का समय दे रहा हूँ आपको या तो कोई उपाय बताओ नही त सीढ़ी लगा कर मै भी उपर आ रहा हूँ
चरण स्पर्श



14 comments:

  1. नहीं ऐसी सीढ़ी नहीं लगानी.........बहुत गहराई से मन की व्यथा लिखी है

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    1. हार्दिक धन्यवाद ...... उपासना सखी.....

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  2. really man ki baat yaha par likh di hai ,aisa har insaan sochta to hai par kisi kisi ki ye ichchha poori ho pati hai,khyal achchha hai,

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  3. बहुत मर्मस्पर्शी ...

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    1. बहुत से घरो की कहानी है ये....धन्यवाद

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  4. aapne padh liye mere mann ke har ehsaas......
    ek chota bhai aur ek choti behen......
    jo likha hai...kafi milta hai....
    sabse badi baat hai....ehsaas.........aankhe namm kar di.....
    abb toh mujhe bhi lagta hai mai bhi kahu....koi upaaye bata do Papa nahi toh seedhi laga kar mai bhi upar aa jata hu...............ufffffffffffff

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    1. धीरज रखें harvinder jiआज हर घर का ऐसा ही हाल है... बड़े का दर्द और परेशानी छोटे समझने की कोशिश ही नही करते.... ये आजकल की पीढ़ी का कसूर है... रमा

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  5. Kash..yahi shabd man ko kachotta hai..
    ghar mein aap beeti ko bahut sundar marmsparshi dhang se prastuti kiya hai aapne...

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    1. धन्यवाद कविता जी.... ये घर बीती नही जग बीती है... आजकल जो हो रहा है उससे बच्चो का हाल बताने का प्रयास किया है मैने.....

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  6. kash ek sidhi meri paas bhi hoti,i miss u Papa....
    Aankhen nam ho gyi.....bahut sadhran shabd pr ander
    tk utar gye.....

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