तेरे ख्याल से ही गुलशन में बहार आ गयी
जब तुम आओगे तो क्या होगा
इंतज़ार का हर पल भारी है अब
मौत गर आ गई तो तुम्हारा क्या होगा
मौत से तो कोई डर नही है मुझे
बस तेरा हाल सोच के ही डरती हूँ
वफाओं का दामन बिछा है राहों पर
अब और मुझसे तेरा इंतज़ार न होगा
दिल मे उम्मीद लिये श्रंगार किया मैने
इस उम्मीद की लाज रखना अब
अब अगर देर कर दी तुमने तो
ये श्रंगार न कभी फिर मुझसे होगा
आईना न डर जाए कंही मेरी सूरत देखकर
ऐसा हाल मत करना कभी मेरा तुम
तुमसे ही हर आशा है मेरे जीवन की
इस आशा को निराशा न करना होगा
जीवन की नैया अब बीच भंवर मे है
मांझी हो तुम मेरी नैया के
इसे बिन पतवार कभी न करना होगा
बस यही आखरी इलतजा है मेरी
गर जनाजा भी निकले मेरा
तो कंधा मुझे बस तेरा होगा
मौत गर आ गई तो तुम्हारा क्या होगा
ReplyDeleteमौत से तो कोई डर नही है मुझे..waah umda rachna
Dhanywad aparna ji.......
Deleteमांझी हो तुम मेरी नैया के
ReplyDeleteइसे बिन पतवार कभी न करना होगा------------अच्छी अभिवयक्ति रमा सखी .....:)
Hardik dhanywad aruna sakhi.........
Deleteसमर्पण की बेहतर भावाभिव्यक्ति - आपकी रचना का अंतिम अंश पढ़ते पढ़ते किसी शायर की ये पंक्तियाँ याद आयीं-
ReplyDeleteमैं भी गुस्ताखी करूँगा जिन्दगी में एकबार
यार सब पैदल चलेंगे मैं जनाजे पर सवार
सादर
श्यामल सुमन
०९९५५३७३२८८
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हार्दिक धन्यवाद श्यामल जी..........
Deleteटंकण भूल - शि्ंगार को श्रृंगार लिखकर ठीक कर लें
ReplyDeleteधन्यवाद श्यामल जी.... भूल का सुधार कर लिया मैने
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