खवाबो के महल
सपनो के नगर
थोड़ा सा बचपन
थोड़ी जवानी
किधर गये सब
ना मिलें ढूढँने पर भी
क्या वो ही था उनका
छोटा सा सफर
अब अधेंरी काली राते
डराती हुई सब बाते
ना कोई साया संग
ना कोई हमसफर
क्या यही है अब जिंदगी
और इस जिंदगी का सफर
तो नही चाहिए ऐसी जिंदगी
नही चाहिए ऐसे खवाब
यही है जीना तो
ऐसे ही जी लेंगे
ना रोयंगे अब
सब आंसू पी लेंगे
यूंही काट लेंगे
जिंदगी का सफर
नही ढूंढेगे कभी
खवाबो के महल
सपनो के नगर
ना कोई साया संग
ReplyDeleteना कोई हमसफर
क्या यही है अब जिंदगी
और इस जिंदगी का सफर
तो नही चाहिए ऐसी जिंदगी
नही चाहिए ऐसे खवाब
wow rama jee kya likh dala.......yehi to hein jindgi..akeli tanah
Dhanyawad Daidy sakhi....
ReplyDeleteदिल को छू लेने वाली रचना ................
ReplyDeleteDhanywad Upasna sakhi.......
ReplyDeletesapnon ki mahal mem kabhi jyada surakshit mehsoos hota hai...
ReplyDeleteसपनो के महल तो दिल की दीवारो से बनते है .... वो जिंदगी को खुशियो का साया देते हैं....
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