दिल की बाते
कुछ कही
कुछ अनकही
साथी नहीं कोई
अपना नहीं कोई
बस दिल कहता है
और दिल ही सुनता है
कोई और सुने तो
ये बाते मेरी
ढल जाये
अफसानों में
सपने बुनना
खुद से बातें करना
दिल की दुनिया
सपनो में बसाना
यही भाता है
दिल को
कोई रोक नहीं
किसी की टोक नहीं
बस सपने हैं
और दिल की बातें
खुद दिल से बात की और हंस दिए ..........बहुत सुंदर सखी
ReplyDeleteSahi.....Upasna sakhi....Dhanyawad
ReplyDeleteबहुत खूब रमा जी ऐसे ही लिखते जाये ।
ReplyDeleteDhanywad Praveena Sakhi.......Dil Se.......
ReplyDeleteनमस्कार जी !
ReplyDeleteदिल को
कोई रोक नहीं
किसी की टोक नहीं
बस सपने हैं
और दिल की बातें
.......इस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें
संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी....
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