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Tuesday, February 9, 2016

पिंजरा



पिंजरा तो पिंजरा है
चाहे सोने का हो या लोहे का
कैदी को सोने और लोहे से क्या लेना देना
उसके लिये तो
पिंजरा तो पिंजरा है
खुले आकाश को तकती आंखे
उन आंखो में एक तड़प
उस तड़प को कौन करेगा दूर
सोना या लोहा
ये तड़प है आज़ादी की
न सोने की न लोहे की
आज़ादी तो बेमोल है
पर कैदी के लिये
पिंजरा तो पिंजरा है

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