Pages

Saturday, November 28, 2015

आंसू




जाने क्यूं अनजाने ही बह जातैं आंसू
दिल में छिपी बात सब को कह जाते हैं आंसू
घुटन कब कम होती है रोने से
सब के चेहरे पर जब इक सवाल छोड़ जाते हैं आंसू.
नहीं उठती निगाह तब किसी के सामने
बस लबों पर इक आह छोड़ जाते हैं आंसू
न रूकते हैं न छिपते हैं 
मुफ्त में बदनाम कर जाते हैं ये आंसू

2 comments: