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Saturday, August 9, 2014

रक्षाबंधन


    
    याद आ रहा है 
वो रूठना मनाना
तेरा मेरे भाई
आज परदेस में हूँ अकेली
याद करती तेरी हर बात
कहाँ खो गये 
वो बचपन के दिन
तुम्हारा बड़ी सी राखी के लिये
रूठ जाना 
मेरा जानबूझ कर सताना
तुम्हे छोटी सी राखी दिखा कर
मम्ी डैडी के डाँटने पर
वो रोना मेरा
कि क्यों सताया भाई को
राखी के दिन
फिर चुपके से मेरा
हाथ आगे आना
और बड़ी राखी दिखाना 
फिर तुम्हारी बारी आती थी
मुझे सताने की
तुम कौन सा कम थे किसी से
मेरा नेग सिर्फ अक रूपी देना
और ये नेग देख
मेरा रोना और तुम्हारा खिलखिलाना
हर बरस चलता था ये खेल
हर बरस इसी तरह 
लड़ते झगड़ते
रूठते मनाते
हम मनाते थे ये दिन राखी का
आज ढूंढ रही हूँ
उन दिनो को
उन पलों को
कहाँ खो गये मेरे बचपन के दिन

Happy Raksha Bandhan to All

4 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें।

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    1. हार्दिक आभार राजेंद्र जी

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  2. मार्मिक रचना ..
    कहा भूलता है बचपन अपना ...

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