दिल की बातें
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Friday, May 31, 2013
औरत का ज़माना
अब सजूंगी मैं खुद के लिये
ये दुनिया मेरा हौंसला
मेरा दिल
मेरे अरमान
मेरे सपने
मेरी उम्मीदें
कुछ नही तोड़ सकती
अब मैने जीना सीख लिया है
ये मर्दों की दुनिया नही
अब औरत का ज़माना है
और ये मुझे
सब को बताना है
हर औरत को
ये सब समझाना है
3 comments:
yashoda Agrawal
May 31, 2013 at 5:43 AM
अप्रतिम रचना
सादर
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रमा शर्मा, जापान
May 31, 2013 at 5:45 AM
आभार यशोदा जी ..
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रमा शर्मा, जापान
June 2, 2013 at 4:28 AM
आभार ब्लॉग प्रसरण और अप का अरुण जी
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अप्रतिम रचना
ReplyDeleteसादर
आभार यशोदा जी ..
Deleteआभार ब्लॉग प्रसरण और अप का अरुण जी
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