पूरी की पूरी 15 पंक्तियां बहुत ही भावुक, मर्मस्पर्शी और हृदय को न केवल छू लेने वाली वरन झकझोर देने वाली....मानवता के लिए , सभ्यता का ढ़िंढ़ोरा पीटने वाले और औरत को समानता का अधिकार देने के लिए गला फाड़कर चीखने वाले सफेदपोशों के लिए बड़ा प्रश्न चिन्ह भी. अंतिम दो पंक्तियों ने तो वाकई नयनों को सजल कर दिया " फिर औरत का नाम क्यूं , गुड़िया ही सब कहलाएंगी..." इस यथार्थ को शब्दों में सलीके से बांधने की कामियाब कोशिश के लिए बधाई के हर शब्द कम पड़ जाएंगे. आदरणीया रमाअजयजी सिर्फ साधुवाद,साधुवाद,साधुवाद.
पूरी की पूरी 15 पंक्तियां बहुत ही भावुक, मर्मस्पर्शी और हृदय को न केवल छू लेने वाली वरन झकझोर देने वाली....मानवता के लिए , सभ्यता का ढ़िंढ़ोरा पीटने वाले और औरत को समानता का अधिकार देने के लिए गला फाड़कर चीखने वाले सफेदपोशों के लिए बड़ा प्रश्न चिन्ह भी. अंतिम दो पंक्तियों ने तो वाकई नयनों को सजल कर दिया " फिर औरत का नाम क्यूं , गुड़िया ही सब कहलाएंगी..." इस यथार्थ को शब्दों में सलीके से बांधने की कामियाब कोशिश के लिए बधाई के हर शब्द कम पड़ जाएंगे. आदरणीया रमाअजयजी सिर्फ साधुवाद,साधुवाद,साधुवाद.
ReplyDeleteहार्दिक आभार ऋतुपर्ण जी .....
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