आज फिर पत्ते झड गए सभी
आ गई खिज़ा फिर दोबारा
बस ठूंठ बन कर रह गया
बस ठूंठ बन कर रह गया
मेरा वजूद सारा
कब तक कब तक झेलू
ये तूफ़ान हैं आंधियो के
एक एक पत्ता झड गया
कोई फूल फल तक न बचा
अब कौन आएगा मेरे पास
मै अब कसी के काबिल न रहा
अब कौन बैठेगा यहाँ
छाया भी नहीं रही
कौन खेलेगा आँख मिचोली
हर शाख फलो के बिना
बच्चो को क्या दूं अब
कोई न समझेगा मेरा ये दर्द
शायद अब बहार भी न आएगी
शायद अब बहार भी न आएगी
और न ही कभी फल फूल खिलेंगे
फिर कैसे पंछी आयेंगे
कैसे अपना घोंसला बनायेंगे
फिर कैसे पंछी आयेंगे
कैसे अपना घोंसला बनायेंगे
अब अकेला ही रहना है शायद
सर्द गर्म हवाएं सब अकेले ही
आंधियां और बर्फ के तूफ़ान भी
सब अकेले ही झेलना है मुझे अब
शायद यही थी मेरी किस्मत
अब तो ये चाँद ही गवाह है
मेरी तनहइयो और उदासियो का
ये भी अमवस्या को चला जाता है
निर्दयी मुझे इन वीरानो में छोड़ के
लेकिन अगली रात ही आ जाता है
सारा आसमान तारो से भरा है
लेकिन इसका साथी कोई नहीं
तभी तो भगा आता है मेरे पास
जनता है ये भी अकेला है
और मै भी अब अकेला हूँ
इसने सब देखा है मेरा
हर रात अकेले में रोना मेरा
और मै इसके आंसू देकता हूँ रोज़
चुप चाप इसकी आँखों से बहते हुए
लोग उसे शबनम कहते हैं
इसके आंसू हैं वो नहीं जानते
कोई नहीं जनता इसकी
अकेलेपन की पीड़ा को
सिर्फ मै जनता हूँ
और ये बेजुबान मेरा दर्द
जनता है बहुत अच्छी तरह से
ये भी चुप रहता है
मै भी उदास खाद रहता हूँ
तन्हाई हम दोनों की साथी है
वो भी अकेला है मै भी अकेला
नमस्कार,
ReplyDeleteआज पहली बार आपके ब्लॉग में आया ... बहुत कुछ सिखने को मिला आगे भी आते रहूँगा...
"विरह की वेदना अतुलित,अगणित,अनंत होती है"
एक छोटा सा प्रयास मैंने भी किया था कभी समय हो तो पढियेगा
धन्यवाद
http://mukesh4you.blogspot.in/2011/03/blog-post_23.html
धन्यवाद मुकेश जी
Deleteतन्हाई हम दोनों की साथी है
ReplyDeleteवो भी अकेला है मै भी अकेला .........!!!
धन्यवाद उपासना सखी
Deleteआपकी रचना पढ़ने के बाद खुद की लिखी ये ग़ज़ल याद आयी -
ReplyDeleteवो घड़ी हर, घड़ी याद आती रहे
गम भुलाकर जो खुशियाँ सजाती रहे
जिन्दगी से अगरबत्तियों ने कहा
राख बन के भी खुशबू लुटाती रहे
कभी सुनता क्या बुत भी इबादत कहीं
घण्टियाँ क्यों सदा घनघनाती रहे
प्यार सागर से यूँ है कि दीवानगी
मिल के नदियाँ ही खुद को मिटाती रहे
डालियाँ सूनी है पर सुमन सोचता
काश चिड़ियाँ यहाँ चहचहाती रहे
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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धन्यवाद श्यामल भाई
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद महेंदर जी
Deletena mile kisi ko ye dard tanhaai ka....
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